मंत्रीजी का स्वागत, मास्टरजी की आफत
संतोष गुप्ता
चूरू, 9 नवम्बर। सुशासन और संवेदनशील सरकार से राहत की आस ग्रामीणों के गले की फांस बन गई है। सरकार में कृषि एवं पशु पालन मंत्री हरजीराम बुरड़क का अपने ही गृह क्षेत्र के गांवों में पगफेरा ग्रामीणों पर भारी पडऩे लगा है। 'नोटां री माळा पेरावो, मंत्री का पगळया करवावोÓ जैसा जुमला हर खास और आम ग्रामीणों की जुबान पर चढऩे लगा है।
सूखे और अकाल से जूझ रहे ग्रामीण अपने पेट पर पट्टी बांध कर गांव के भले की आस में मंत्री को नोटों का हार पहनाने पर मजबूर हैं। मोटे तौर पर दिखाई देने वाली ग्रामीणों की इस मजबूरी में क्षेत्र के चंद अवसरवादी लोगों का भी स्वार्थ है। आगामी पंचायतीराज चुनाव के मद्देनजर वे जहां ग्रामीणों पर अपना रुआब बना रहे हैं वहीं मंत्रीजी पर अपना प्रभाव जमा रहे है।
हैरत की बात है कि गांव के बुजुर्ग ग्रामीण अवसरवादियों की इस फितरत को समझते हैं फिर भी अपने घर-परिवार में अमन चैन की खातिर उनके इशारे पर चलते हैं। रविवार को ही मंत्रीजी का लाडनूं तहसील के चार गांवों का दौरा ग्रामीणों पर लाखों का पड़ा। मंत्री बुरड़क मालगांव, गेनाणा, रताऊ और सिकराली गांव में भले ही ग्रामीणों के अभाव-अभियोग सुनने के बहाने गए हों पर लौटे तो उनके गले में करीब तीन लाख चवालीस हजार एक सौ एक रुपए के गांधी छाप नोटों की माला थी। आश्चर्य किन्तु सत्य है कि ग्रामीणों को मंत्रीजी के गले में नोटों का हार डालने की जितनी खुशी हुई उससे ज्यादा उनके लौटने पर मलाल हुआ।
मंत्रीजी ने गांव के विकास की कोई घोषणा करने के बजाय उनकी उम्मीद पर यह कह कर पानी फेर दिया कि वे कहने में नहीं कर के बताने में विश्वास रखते हैं। लाडनूं तहसील के सबसे बड़े गांव रताऊ में बुरड़क का ग्रामीणों ने जोरदार स्वागत किया। यहां उन्हें सर्वाधिक दो लाख एक हजार एक सौ एक रुपए की माला पहनाई गई। वहीं मंत्री पुत्र जगन्नाथ बुरड़क को इक्कीस हजार रुपए के नोटों की माला से नवाजा गया। ग्रामीण प्रेमाराम बिडिय़ासर, प्रभुराम बेड़ा, गणेशाराम बिडियासर, रामसुख राड, रूपाराम बावरी तथा रामचंद्र भाखर ने बताया कि दो लाख घाल्या जद पगळया कराया।....इसू पेली ग्यारहा महीना सूं गांव वाळास्यूं रुख नहीं मिला रया हा....मंत्रीजी गांव वाळा सूं मुंह फेर बैठग्या...। ग्रामीणों को मलाल रहा कि पूरे लाडनूं तहसील में रताऊ गांव ही था जिसने बुरड़क को सर्वाधिक सत्तरह सौ मतों की बढ़त दिलाई थी। गांव वालों को उम्मीद थी कि मंत्री बनने पर वे खुद आकर ग्रामीणों का आभार व्यक्त करेंगे। किन्तु ऐसा हुआ नहीं। गांव के हर घर से रुपए एकत्र किए गए। स्कूल के मास्टरों ने रुपए दिए तब कहीं जाकर मंत्री जी का गांव में पगळया हुआ। ग्रामीणों ने बताया कि बावरी कच्ची बस्ती में गंदे पानी की गेनाणी के निकास, स्कूलों में विषय अध्यापकों की नियुक्ति, चिकित्सा सुविधाओं का विस्तार और गांव की सड़क निर्माण तथा मीठे के पानी की व्यवस्था कराए जाने की मंत्री से उम्मीद थी। आळ माला पहराई है....आगे देखस्यां....म्हाने...देखताने...अतराबरस हुईग्या...हालतक तो कांई...हुयो कोनी...। सड़क बनवााबा के वास्ते मंत्रीजी कहग्या वी के बन्वा की कई सालासूं सुणंरयां हां...अबे तक तो बणी कोणी...। ग्राम गेनाणा में बुरड़क को करीब इक्यावन हजार रुपए नकद राशि का लिफाफा भूराराम चोयल व सरपंच सहदेव डारा ने ग्रामीणों की ओर से भेंट किया। यहां मंत्री को समस्याएं सुनाने पहुंची महिला श्रमिकों को अनसुना किया गया। नरेगा श्रमिक भंवरी व पांची ने बताया कि वे अपनी समस्या बताना चाहती थी किन्तु उन्हें बोलने ही नहीं दिया गया। खींवाराम राड ने मंत्रीजी को भरी सभा में टोकते हुए कहा कि तुम्हारी बातें बहुत सुन ली है। इन श्रमिकों को सुनो जिन्हें तेरह-बीस रुपए मिल रहे हैं। इतना कहते ही मंत्री के साथ आए लोगों ने उसे बैठा दिया, बोलने नहीं दिया। बुरड़क ने इस गांव में सामुदायिक भवन बनाने की घोषणा की। यहां उन्होंने अपनी घोषणा में कहा कि ग्राम पंचायत पट्टïा देती हो तो वे वहां सामुदायिक भवन बनाने के लिए पांच लाख रुपए देगें। जोरदार पहलू यह है कि बुरड़क ने जिस स्थान के लिए पंचायत का पट्टïा मांगा वह जमीन पंचायत की है ही नहीं, वह गोचर भूमि है जहां पंचायत पट्टïा नहीं दे सकती। बुरड़क को गांव सिकराली में भी इक्यावन हजार रुपए व मालगांव में इक्कीस हजार रुपए की माला पहनाई गई।कईयों ने कर दिया राशि देने से मना मंत्री के दौरे पर स्वागत के लिए राशि देने से कई शिक्षाकर्मियों ने इंकार कर दिया। शिक्षकों ने नाम नहीं देने की शर्त पर बताया कि उनसे शिक्षा विभाग के ही एक अधिकारी और एक व्याख्याता ने इक्कीस सौ रुपए राशि मांगी थी। एक शिक्षक ने तो बताया कि उनके परिवार से तीन भाई शिक्षक हैं। तीनों से राशि मांगी गई किन्तु परिवार के हिसाब से राशि देकर पीछा छुड़ाया। एक विकलांग शिक्षक ने तो साफ तौर पर इस कार्य के लिए राशि देने से यह कहकर मना कर दिया कि जहां भी तबादला करवाना हो वहां करवा देना। गौरतलब है कि मंत्री के स्वागत के लिए रताऊ गांव से बाहर सेवारत शिक्षकों से भी राशि एकत्रित की गई।
मंत्रीजी .........लेणों ही सीख्या हैै.....। ग्राम रताऊ के बुजुर्ग ग्रामीण गणेशाराम बिडियासर व प्रभुराम बेडा आदि ने कहा कि मंत्रीजी देणों कौनी सीख्या है... लेणों ही सीख्या हैै... यही दो लाख रुपया गांव के मवेशियां के चारा और कच्ची बस्ती के गंदे पानी के निकासी के लिए बढ़ाकर दे देते तो गांव वालों को और खुशी होती। मंत्रीजी आज तक कदै ही माळा का रुपया वापस कौनी दिया....।
इनका कहना है...........
सूखा-अकाल, बिजली, पानी एवं मंहगाई से त्रस्त गरीब गांव वालों से नोटों की माला पहनकर कृषि मंत्री ने पारदर्शी संवेदनशील व जवाबदेह सरकार के कथनी और करनी में अन्तर को उजागर कर दिया। वे जब से मंत्री बनें हैं तब से अब तक करीब 30 लाख से अधिक रुपयों की माला स्वीकार कर चुके हैं और लाखों के चांदी के जग ग्रामीणों से पा चुके हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत यदि वाकई गरीब जनता के प्रति संवेदनशील हैं तो उन्हें अपने मंत्रिमंडल के इस साथी से हिसाब मांगना चाहिए और ये राशि सहायता कोष में जमा करानी चाहिए।
-एडवोकेट जगदीशसिंह, पूर्व उपप्रधान, पंचायत समिति, लाडनूं
पानी को प्यासे ग्रामीण और चारे को तरसते मवेशियों को राहत देने की बजाय कृषि मंत्री हरजीराम बुरड़क गरीब पशुपालकों और काश्तकारों की जमा पूंजी भी हजम कर रहे हैं। यदि सरकार की गरीब जनता व काश्तकारों के प्रति यही संवेदनशीलता है तो फिर मुझे कुछ नहीं कहना है।
-नाथूराम कालेरा, अध्यक्ष, भाजपा ग्रामीण मंडल, लाडनूं
कृषि मंत्री बुरड़क गांवों में अभाव-अभियोग सुनने के नाम पर दौरा कर ग्रामीणों से पिछले 11 महिनों से चौथ वसूली कर रहे हैं। ऐसे मंत्री को पद पर बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है। उनके स्वागत के लिए एकत्रित की जा रही राशि सरकारी कर्मचारी एवं अधिकारियों से ही संभव है। सरकार को चाहिए कि वे जनता को ऐसे मंत्रियों से भयमुक्त कराए।
-हनुमानमल जांगिड़, अध्यक्ष, भाजपा शहरी मंडल, लाडनूं
जनप्रतिनिधि का स्वागत होता रहा है, यह कोई नई बात नहीं है। हरजीराम बुरड़क के मंत्री बनने पर मैं भी उनके साथ कुछ गांवों में आयोजित सम्मान समारोह में गया था। मैनें तो मुझे पहनाई गई नोटों की माला में कुछ राशि और जोड़कर ग्रामीणों को लौटा दी थी मेरे सामने मंत्रीजी ने भी शायद ऐसा ही किया था। उसके बाद मैं कभी मंत्रीजी के साथ नहीं जा सका।
- रूपाराम डूडी, विधायक, डीडवाना
कांग्रेस सरकार के गठन के 11 माह बीत जाने के बाद भी मंत्रिमंडल के सदस्यों में अपना स्वागत सत्कार कराने की इच्छा खत्म नहीं होना आश्चर्यजनक है। अब तो जनता के दु:ख-दर्द मिटाने का समय है। अकाल से जूझ रहे ग्रामीणों से नोटों की माला पहनकर हर्षित हो रहे मंत्री आखिर जनता को क्या संदेश देना चाहते हैं?
- मनोहरसिंह, पूर्व विधायक, लाडनूं
मंत्री हरजीराम बुरड़क के स्वागत-सत्कार के लिए ग्रामीणों से जबरन एकत्रित की जा रही राशि की जानकारी उन्हें भी मिली है। यह वक्त वाकई ऐसा नहीं है जबकि सरकार का कोई मंत्री गांवों में जाकर इस तरह अपना स्वागत करवाए। इस सम्बन्ध में मुझे जो भी कुछ जानकारी मिली है वह मुख्यमंत्री अशोक गहलोत एवं कांग्रेस संगठन को भिजवाई जा रही है।
- अंजना शर्मा, कोषाध्यक्ष, प्रदेश कांग्रेस महिला प्रकोष्ठï, लाडनूं
जनता जनप्रतिनिधियों का स्वागत करती रही है, ये तो जनप्रतिनिधि के अपने संस्कार और नैतिकता होती है कि वे जनता द्वारा भेंट की गई राशि में अपनी ओर से कुछ मिलाकर जनसेवा के लिए ही उन्हें वापिस सौंप दें। मंत्री हरजीराम बुरड़क यदि ऐसा नहीं करते हैं तो खेदजनक है।
- लियाकतअली खान, पराजित प्रत्याशी, कांग्रेस, लाडनूं
क्षेत्र के ग्रामीण दौरे पर जनता की ओर से किये गए स्वागत सम्मान की मैं कद्र करता हूं। उनकी ओर से भेंट की गई राशि का देखेंगे क्या करना है।
-हरजीराम बुरड़क, कृषि एवं पशुपालन मंत्री, लाडनूं
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