-सन्तोष गुप्ता
पंचायतीराज चुनाव की गरमाहट ने थळी की नश्तर चुभती सर्द हवाओं को शिकस्त दे दी है। समूचा थळी अंचल चुनावी अलाव के ताप में चुस्त और स्फूर्त नजर आ रहा है। बुनियादी सुविधाओं के अभाव की टीस कहीं दब गई है। सिर्फ और सिर्फ चुनाव में जीत का जोश और जुनून सिर पर चढ़ा है। कहीं कोई थकावट नहीं है। कहीं कोईकड़वाहट नहीं है। प्रतिद्वंद्वी भी यहां दोस्त बना है, तो कहीं रिश्तेदार भी प्रतिद्वंद्वी हो चला है। रिश्तों में मिठास और हुक्के संग अट्ठहास जहां का तहां बना है। पहले दौर में रतनगढ़ और सुजानगढ़ तथा दूसरे चरण में चूरू और तारानगर का निर्विघ्न चुनाव तीसरे चरण के लिए मिसाल बन गया है। इन दो दौर में रहे शांति और सुकून पर सिर्फ प्रशासन की ही नहीं, अंचल के हर वाशिंदे की हिस्सेदारी है। सुजागढ़ की पारेवड़ा ग्राम पंचायत ने तो इतिहास ही रच दिया। पूरे गांव ने अपना मुखिया ही नहीं समूची पंचायत को निर्विरोध चुन लिया। यह राष्ट्रपिता महात्मा गांधीजी के ग्राम स्वराज का सपना साकार होने जैसा रहा । आज जबकि हमनें बापू की पुण्यतिथि और 6 1 वां गणतंत्र दिवस मनाया हैं यह मिसाल निश्चित ही कृतज्ञराष्ट्र वासियों की ओर से उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि कही जा सकती है। निर्विरोध पंचायत चुने जाने की मिसाल दूसरे चरण में भी बन सकती थी। हमने बहुत से पंच और उपसरपंच तो निर्विरोध चुने पर पूरी पंचायत नहीं चुन सके।
दरअसल इसके लिए किसी ने पहल, प्रयास ही नहीं किया। ऐसा सम्भव हो सकता था। पहल करने और मिसाल बनने का कभी मुहूर्त नहीं निकाला जाता। घर-परिवार, गांव-ढाणी, संस्था-समाज और राज्य-राष्ट्र के लिए कुछ कर गुजरने की दिली इच्छा हो तो कारवां बनता चला जाता है। आज उठने वाला एक कदम कल का मार्ग प्रशस्त करता है। मन का नेक ख्याल भावी पीढ़ी का पथ प्रदर्शक बन जाता है। दूर देखने और ऊंचा सोचने का कभी किसी के नाम ठेका तो नहीं छूटा? आप और हम भी ऐसा विचार करंे तो गांव और गुवाड़ की सूरत और सीरत बदल सकती हैं। सरकार आती है और चली जाती है। गांव के विकास के वायदे होते और अधूरे रह जाते हैं। धन आता है और खर्च हो जाता है। गांव के चौपाल का चबूतरा नहीं सुधरता। गुवाड़ की नाली का पानी सड़क पर बहना नहीं रुकता। स्कूल का कमरा मास्टर को और स्वास्थ केन्द्र डाक्टर को उडीकता रहता है। यह सब क्यों होता है? क्या कभी किसी ने सोचा है? अब तक नहीं सोचा तो अब सोचो। सधे हाथों में अपना नेतृत्व सौंपो। गांव के विकास के लिए सच्चे और अच्छे नेता को चुनो। हो सके मुखिया, ज्यादा हो तो पूरी पंचायत निर्विरोध चुनलो। चुनाव का तीसरा और अंतिम चरण अभी बाकी है।
राजगढ़ और सरदारशहर वासियों की कथनी और करनी का इम्तिहान अभी बाकी है। निष्पक्ष, निर्भीक और निर्विरोध पंचायत फिर चुनी जा सकती है। ऐसी दूसरी मिसाल बने तो वह अपने गांव की ही क्यों न हो? गांव को राज्य और राष्ट्र स्तर पर मिले पहचान, तो पहल आज ही क्यों न हो?
सार्थक विचारों के लिए बधाई...
ReplyDeleteशुभकामनाएं...
संवाद का सफ़र निरंतर जारी रहे, शुभकामनाएं।
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