दोस्तों, आज मैं खुश हूं। यह खुशी आपसे मुलाकात की है। इस मुलाकात के लिए मैं पिछले लम्बे समय से चाहत रख रहा था। चाहत अब से चंद सैकंड पहले ही पूरी हुई। अगले हर पल आप लोगों का सुखद सान्निध्य पाता रहूं ऐसी कामना है। मैं चाहता हूं कि मैंने अब तक जो किया, जो मैं कर रहा हूं और जो मैं करना चाहता हूं। उसे ब्लॉग के जरिए आप सभी से साझा कर सकूं। मुझ में हर नए दिन की शुरुआत के साथ कुछ नया करने की ललक रहती है। उसे शिद्दत से पूरा करने की जद्दोजहद में हर दिन करना होता है...सच का सामना। ये ब्लॉग ऐसी ही सच्चाइयों से अब आपकों भी कराता रहेगा रू-ब-रू।

Tuesday, December 1, 2009

जागरुकता बढ़ी रोगी हुए नहीं कम

विश्व एड्स दिवस आज
चूरू, 30 नवम्बर। जिले में एड्स रोगियों की संख्या बढ़ रही है। इस साल में अब तक करीब तैंतीस रोगी एड्स पॉजीटिव पहचाने जा चुके हैं। इनमें तीन तो गर्भवती महिलाएं हैं। गत वर्ष की तुलना में एड्स रोगियों की संख्या में करीब ग्यारह की वृद्धि हुई है।
यह बात ओर है कि एड्स की जांच के प्रति लोगों की जागरुकता काफी बढ़ी है लेकिन एड्स से बचाव के प्रति सावधानी बरतने पर ध्यान उतना ही कम दिया जा रहा है।जिला मुख्यालय स्थित डेडराज भरतीया अस्पताल और थ्रू नेटवर्क व पॉजीटिव वूमन नेटवर्क नामक स्वयं सेवी संस्थाओं से मिली तथ्यात्मक जानकारी के अनुसार जिले में उपखण्ड स्तर पर एड्स रोगियों का आंकड़ा चौंकाने वाला है।
थ्रू नेटवर्क के अध्यक्ष आसुराम जांगिड़ के अनुसार चूरू जिले में अब तक करीब चार सौ एड्स रोगी पहचाने जा चुके हैं। इनमें सर्वाधिक करीब एक सौ रोगी सुजानगढ़ उपखण्ड के हैं। पैंतालीस रोगियों के साथ सरदारशहर दूसरे नम्बर पर आता है। राजगढ़ में चालीस एड्स पॉजीटिव हैं वह इस मामले में तीसरे पायदान पर है जबकि रतनगढ़ और चूरू शहर में करीब तीस से पेंतीस रोगी हैं। तारानगर इस मामले में पांचवे स्थान पर है यहां सिर्फ छह रोगी पहचाने गए हैं।बकौल आसुराम चिंता और चिंतन की बात तो एड्स पीडि़त बच्चों को लेकर है। जिले में करीब 42 बच्चे एड्स पीडि़त हैं।
इनमें से करीब एक दर्जन अनाथ हैं। शेष बच्चों में किसी के मां है तो किसी के पिता जीवित हैं। चूरू शहर की एक एड्स पॉजीटिव बच्ची को तो हाल ही में जयपुर स्थित पॉजीटिव वूमन नेटवर्क की संचालक मुकेश यादव को सौंपा गया है। बच्ची के परिवार में पिता नहीं है। मां है किन्तु उसकी भी स्थिति अच्छी नहीं है। बकौल मुकेश यादव उसके पास करीब पन्द्रह बच्चे हैं जिनकी वह देखभाल करती है। इनमें अकेले चूरू ही नहीं बल्कि सीकर, झुंझुनूं के भी एक-एक बच्चे भी हैं। इसके अलावा बाड़मेर, उदयपुर, जालौर, कोटा आदि जिलों के भी बच्चे हैं।चूरू स्थित ऐंटी रिट्रोवायरल थैरेजी सेंटर (आसीटीसी) से मिली जानकारी के अनुसार पिछले एक-दो सालों में एड्स जांच के प्रति लोगों में जागरुकता देखी गई है। सेंटर पर सालाना एक से डेढ़ हजार लोग जांच एवं काउंसलिंग के लिए आते हैं। इस वर्ष में अब तक गुजरे ग्यारह माह में ग्यारह सौ लोगों ने सामान्य रूप से जांच परामर्श लिया है। वहीं करीब सौलह सौ गर्भवती महिलाओं के रक्त जांच के साथ ही एड्स संबंधित जांच भी की गई है। इनमें से एड्स पॉजीटिव तीस मामले तो सामान्य जांच में तथा तीन मामले गर्भवती महिलाओं के रक्त जांच में सामने आए हैं। गतवर्ष सामान्य परामर्श के लिए आए पन्द्रह सौ लोगों की जांच में बीस तथा करीब आठ सौ गर्भवती महिलाओं के रक्त जांच में एक मामला पॉजीटिव पाया गया था।

लोगों में पहले से जागरुकता बढ़ी है। लोग जननांगों में थोड़ी सी भी तकलीफ होने पर तुरन्त जांच के लिए आते हैं। जिन लोगों को परामर्श दिया गया है वे तो सावधानी भी अपनाते हैं। फिर भी लोगों को एड्स से बचाव के लिए सावधानियां बरतने पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है।
प्रदीप अग्रवाल, प्रभारी आईसीटीसी, चूरू
स्क्रीनिंग पहले से अधिक गहन कर दी गई है। गर्भवती महिलाओं के रक्त की जांच के साथ एड्स संबंधित जांच को अनिवार्य कर दिया गया है। रक्त लेने और देने में मरीज के नजदीकी को ही प्राथमिकता दी जा रही है।
-डा. रवि अग्रवाल,प्रभारी ब्लड बैंक, डेडराज भरतीया अस्पताल, चूरू
एड्स रोगी के प्रति परिवार का नजरिया अभी पॉजीटिव नहीं है। पहले समाज का नजरिया संवेदनशील हो तो ही समाज भी सकारात्मक होगा। एड्स पॉजीटिव महिलाओं को परिवार में सर्वाधिक प्रताडऩा व जिल्लत भुगतनी पड़ रही है जबकि उसका दोष तनिक भी नहीं होता। बच्चों के प्रति समाज को नजरिया अभी बदलना है।-मुकेश यादव
जिले में एड्स रोगी बढ़े हैं। सबसे ज्यादा रोगी सुजानगढ़ में हैं। पहचाने गए रोगियों को उपचार दिलाया गया है। फिर भी ग्रामीण स्तर पर लोगों में एड्स से बचाव के प्रति बरती जाने वाली सावधानियों पर ध्यान कम दिया जा रहा है।
-आसुराम जांगिड़, अध्यक्ष, थ्रू नेटवर्कूमन नेटवर्क ऑफ राजस्थान, जयपुर

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